मामला दिल्ली के भीतर यमुना में गिरने वाले 24 नालों की सफाई से जुड़ा है। इनमें सोनिया विहार, नजफगढ़, शाहदरा, तुगलकाबाद, बारापुला आदि नाले शामिल हैं।

यमुना की सफाई
21 फरवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे 25 फरवरी, 2025 तक यह सुनिश्चित करें कि 24 नालों की सफाई का काम निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा हो जाएगा।
NGT ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में वर्चुअल रूप से उपस्थित होने के लिए कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई को 27 फरवरी, 2025 को होगी। सुनवाई में उन्हें यह बताना होगा कि गाद निकालने का यह काम समय-सीमा के भीतर कैसे पूरा किया जाएगा और साथ ही उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि मानसून के दौरान बाढ़ या ओवरफ्लो की स्थित न बने।
मामला दिल्ली की सीमा में यमुना में गिरने वाले 24 नालों की सफाई से जुड़ा है। इनमें सोनिया विहार, नजफगढ़, शाहदरा, बारापुला और तुगलकाबाद आदि नाले शामिल हैं।
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएंडएफसीडी) ने 20 फरवरी, 2025 को इस बारे में एक रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट में गाद निकालने की दिशा में हुई प्रगति और लक्ष्य का खुलासा किया गया है।
अदालत को बताया गया कि यदि आईएंडएफसीडी द्वारा समय पर गाद निकालने का काम पूरा नहीं किया गया तो मानसून शुरू हो जाएगा और इन नालों के आसपास रहने वाले लोगों को फिर से बाढ़ या ओवरफ्लो की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी ही समस्या पिछले मानसून में भी हुई थी। इस तरह की बाढ़ से लोगों को पिछले साल की तरह ही नुकसान झेलना पड़ सकता है।
ऐसे में न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की बेंच ने कहा है कि, “यह आवश्यक है कि इन 24 नालों से गाद निकालने का काम आईएंडएफसीडी द्वारा बताई तय समय-सीमा के भीतर पूरा हो जाना चाहिए।“
बकिंघम नहर प्रदूषण मामले में टीएनपीसीबी ने एनजीटी में सौंपी रिपोर्ट, क्या कुछ बाते आई सामने
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने NGT को अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि बकिंघम नहर की सफाई के लिए अधिकारियों द्वारा अपेक्षित कार्रवाई की जा रही है। यह रिपोर्ट 19 फरवरी, 2025 को अदालत में दाखिल की गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चेपक में एमआरटीएस रेलवे स्टेशन के पास नहर के 500 मीटर के हिस्से का 9 अक्टूबर, 2024 को निरीक्षण किया गया था।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नहर में पानी कहीं नहीं रुका था और वो उन्मुक्त रूप से बह रहा था। इसके साथ ही वहां प्लास्टिक की बोतलें भी नहीं पाई गईं। स्थानीय लोगों ने बताया कि ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन ने सात अक्टूबर, 2024 को नहर के इस हिस्से की सफाई की थी और अब कॉरपोरेशन द्वारा महीने में दो बार सफाई की जाती है।
गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में 19 जनवरी, 2024 को छपी एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है। इस खबर में नहर में जमा कचरे और सीवेज को उजागर किया था।
उत्तर प्रदेश: गंगा नदी प्रदूषण को रोकने के लिए उद्योगों पर नजर रख रहा है सीपीसीबी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 10 फरवरी, 2025 को गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण कम करने के लिए उठाए कदमों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
रिपोर्ट के मुताबिक सीपीसीबी ने उत्तर प्रदेश में भारी प्रदूषण करने वाले 1,370 उद्योगों, 36 सीवेज उपचार संयंत्रों और आठ सामान्य अपशिष्ट उपचार/क्रोम रिकवरी इकाइयों का औचक निरीक्षण करने के लिए 50 टीमों का गठन किया है।
सीपीसीबी टीमों द्वारा 26 अगस्त, 2022 को निरीक्षण शुरू किया और 30 नवंबर, 2024 तक उन्होंने 1,391 निरीक्षण पूरे कर लिए। इसमें 62 जिलों में 1,347 प्रदूषण पैदा करने वाले उद्योग, 10 जिलों में 36 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और पांच जिलों में आठ कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट/क्रोम रिकवरी यूनिट शामिल थी। शेष 23 उद्योगों का निरीक्षण अभी भी जारी है।
निरीक्षण किए गए 145 उद्योगों में से 76 चल रहे थे, जबकि 69 बंद थे। चालू उद्योगों में से 34 ने नियमों का पालन किया था जबकि 40 नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। निरीक्षण के दिन दो इकाइयां सूखी थीं, इसलिए यूपीपीसीबी को उनकी दोबारा जांच करने के लिए कहा गया।